ख्वाबों का घोसला

अकसर दिल के मुंड़ेर पर बैठती, एक प्यारी सी गौंरैया।  चुन-चुनकर चोंच से लम्हे, बनाया करती। छोटे-छोटे ख्वाबों का घोसला।

अकसर
दिल के
मुंड़ेर पर बैठती,
एक प्यारी सी गौंरैया।

चुन-चुनकर
चोंच से लम्हे,
बनाया करती।
छोटे-छोटे
ख्वाबों का घोसला।

खुशियों
को इर्द-गिर्द
बसाए निहारती।
पर अचानक
आ गया
गमों का तूफान।

बस
बिखर गया
उम्मीदों से सजाया
ख्वाहिशों का घोसला।

दिल
की गौरैया भी
गिर पड़ी
सूखी सतह पर।

तड़प रही
उसकी
आँखों के आगे।
उड़कर
जा रहे
यादों के फटे पुर्जे।

सुबह
सारे तिनके
इकट्ठा थे।
हवाओं ने
इतना कर दिया।

गौरैया
खिल पड़ी,
देखते ही देखते।
फिर बन गया
ख्वाबों का घोसला।
_____________

- राहुल मिश्रा

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश

08 अप्रैल 2015

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Naveen Srivastava
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1 Comments
Larry
Naveen Srivastava
2024-03-25 at 01:37 PM

बहुत सुंदर 👍
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