मेरी मम्मी मैनेजमेंट गुरु हैं।

मेरी मम्मी मैनेजमेंट गुरु हैं।

गजब का मैनेजमेंट है उनका बड़े से बड़े आयोजनों की रूपरेखा चुटकियों में तैयार कर देती हैं। हिसाब किताब बहुत तेज़ और टेंट-वाले, बांस-बल्ली वाले, हलुवाई, साउंडवाले, सजावट वाले, बिजलीवाले, किराना स्टोर, सब्जी वाले, मकान बनाने वाले, प्लंबर अब किसका किसका नाम यहाँ लिखूँ। मम्मी के एक इशारें पर 5 मिनट के भीतर दरवाजे पर हाजिर रहते हैं। ऐसी तहजीब है इनकी। बात में सबसे बड़ी बात ये है कि कोई भी इनकी किसी भी बात का बुरा नहीं मानता बल्कि हमेशा चेहरे पर मुस्कान लिए काम को तत्पर रहता है। ऐसे आयोजनो में कई लोगों के घर सब मिलकर जितना काम करते हैं वो मम्मी चुटकी बजाते कर देती हैं। वो भी बिना झल्लाए और ना ही बिना एहसान जताए। सबसे बड़ी बात मम्मी घबराती नहीं है।

मेरी मम्मी आर्किटेक्ट है।
रिश्तों से लेकर घरों की बनावट करना उन्हे बेहद पसंद है। सीमेंट, गिट्टी, मोरंग और बालू का रेट उन्हे मुह जुबानी याद रहता है। हिसाब किताब की पक्की है और पलभर के गुणा गणित से समझा देती हैं कि घर का वस्तु और वास्तु किस हिसाब से कहाँ पर रहेगा। रिश्तों की तो गजब की आर्किटेक्ट हैं मतलब उनकी नीव में पड़े ईंट जो उन्होने खुद तपाकर ऐसे लगाया है। जिसे कोई भी हटा, हिला या डिगा ही नहीं सकता है।

मेरी मम्मी अनुशासन प्रिय हैं।
रात में कितनी भी देर सोये पर उनकी दिनचर्या सुबह से शुरू हो जाती है। जीवन में किसी के सब कुछ है और अगर अनुसाशन नहीं तो उनका जीवन व्यर्थ है। अनुशासन एक व्यक्तिगत भाव है किसी के दवाब में पैदा हुआ अनुसाशन ज्यादा देर टिकता नहीं। घर में उनका अनुसाशन ही सभी को प्रेरणा प्रदान करता है।

मेरी मम्मी शिल्पकार हैं।
शिल्पकार हमारे सपनों की। शिल्पकार हमारे हौसले की। शिल्पकार वक्त बेवक्त साथ में खड़े होकर जिंदगी को तराशकर एक सुंदर रूप देने की। जीवन के कई महत्वपूर्ण हिस्से में मम्मी मौजूद रही। सही कहे तो राहुल की शिल्पकार मम्मी ही हैं।

बस आखिर में मै बस इतना कहूंगा कि उनके पर न आलस का बस चलता ना क्रोध का। अपने धुन की पक्की ऐसी है कि ठान लें तो कुछ भी कर जाए। शब्द कम पड़ जाएंगे मेरे शब्दकोश के परंतु उनके लिए लेख का पूर्ण विराम नहीं होगा।

आप का आशीर्वाद हम सभी पर बना रहे। एक बार फिर आपको जन्मदिन की शुभकामनाएं।

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