लप्रेक 23:
"सुनो ये चांद क्यों पीछा करता है हमारा। असुरन पर देखा था इसे बादल पर चढ़कर अंबेडकर पार्क तक आ गया है। सुना है ये हमारी चुपके चुपके तस्वीरें भी खींच लेता है।" संजय ने चुटकी लेते हुए कहा
"हां तभी उन तस्वीरों की निगेटिव्स* धुलवाने दिन मे जाता है। कभी कभी मैने भी इसे देखा है। एक शाम गोलघर के ऊपर आया था दर्पण कलर लैब से हमारी फोटो निकलवाने।" श्रुति ने उसी अंदाज में पलटवार किया
"चलो एक दिन हम चांद का अपहरण कर लेंगे और बदले में हम सभी निगेटिव्स ले लेंगे।" संजय ने दोनो उंगलियों को बंदूक जैसा बनाते बोला
"अब क्या कहूं, ये इश्क में तुम क्राइम सीन** क्यों बैठा रहे हो। जिस दिन चांद की छुट्टी होगी हम सब फोटोग्राफ्स चलकर चुरा लेंगे।"श्रुति फटाक से बोल पड़ी
"वो कैसे करेंगे" संजय से हंसते हुए पूछा
"एक दिन की छुट्टी तो लेता है ना चांद। उसी अमावस्या को। गाड़ी तैयार रखना" श्रुति ने कहा
दोनो एक दूसरे को और चांद को घंटो देखते रहे। किसी ने फिर एक शब्द भी कुछ नहीं कहा।
* Negatives ** Crime Scene
राहुल मिश्रा
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
14-जनवरी-2024