ये शहर भी न अब बहुत बदल चुका है। नंदानगर अंडरपास से बाइक गुजरते हुए रानी पीछे से बोल पड़ी।
"पिछली बार मिले थे तो यहां घंटों जाम में हमने बहुत सी बातें कर डाली थी। वो ट्रेन के सायरन के पीछे छुपकर मैंने तुम्हारे कान में भी कुछ कहा था।" याद है वो दिन तुम्हे? एक सांस में रानी ने मुकेश से कहा
"तुम यार हिस्ट्री चैनल क्यों बन जाती हो। दिन तो याद नहीं पर बातें जरूर याद रहती हैं। अब तो लगता हैं शहरों में हर तरफ आखें लगी हो।" क्या ऐसा होता है शहरों का विकास?
मुकेश ने हाथों से इशारा करते पूछा
रानी ने मुट्ठी बांधकर चुनने को कहां बताओ, "दाहिना या बाया"
मुकेश ने मोहद्दीपुर चौराहे से दाहिने मुड़कर अपना चयन कर लिया।
"रानी यू आर ऑलवेज राइट सो इट्स राइट*।" मुकेश ने पीछे गर्दन घुमाकर कहा और दोनो बड़ी देर तक हंसते रहे।
राहुल मिश्रा
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश
03-मई-2024