ग्रींटिंग कार्ड: नए साल की शुभकामनाएँ

ग्रीटिंग का चलन याद आता है। एक रुपया का दो ग्रीटिंग कार्ड मिलता था। ग्रीटिंग कार्ड में कोई बहुत रचनात्मकता तो नहीं थी पर जो आसपास की फिल्में होती थी उनके हीरो के रूप में ग्रीटिंग कार्ड तैयार कर दिया जाता था। जैसे कुछ कुछ होता है का शाहरुख खान, तेरे नाम का सलमान खान, कृष का ऋतिक रोशन और भी इस तरीके से बहुत सारे। भले ही सुनने में यह बहुत कम लगे कि ₹1 में दो ग्रीटिंग कार्ड मिल जाते थे। पर उस वक्त पॉकेट मनी भी ₹5 ही होते थी। बहुत जुटान करने पर 25 से 30 रुपए जुट पाते थे।

ग्रीटिंग का चलन याद आता है। एक रुपया का दो ग्रीटिंग कार्ड मिलता था। ग्रीटिंग कार्ड में कोई बहुत रचनात्मकता तो नहीं थी पर जो आसपास की फिल्में होती थी उनके हीरो के रूप में ग्रीटिंग कार्ड तैयार कर दिया जाता था।
जैसे कुछ कुछ होता है का शाहरुख खान, तेरे नाम का सलमान खान, कृष का ऋतिक रोशन और भी इस तरीके से बहुत सारे। भले ही सुनने में यह बहुत कम लगे कि ₹1 में दो ग्रीटिंग कार्ड मिल जाते थे। पर उस वक्त पॉकेट मनी भी ₹5 ही होते थी। बहुत जुटान करने पर 25 से 30 रुपए जुट पाते थे।

ऐसे में स्वाभाविक है कि एक लिस्ट तैयार की जाए अपने निकटतम मित्रों की। निकटतम मित्रों की लिस्ट 25 दिसंबर से बनानी शुरू हो जाती थी। नया साल आते आते ग्रीटिंग कार्ड पर नाम लिख दिए जाते थे। और कुछ जगह छोड़ दिया जाता था वह जगह शेरो शायरी के लिए होता था। गौरतलब है कि तब मोबाइल फोन नहीं हुआ करता था कि लोग फटाफट एक दूसरे का नंबर मिला कर उनको डिजिटल ग्रीटिंग कार्ड भेज सकें वह भी बिल्कुल फ्री में। और ना ही शेरो शायरी खोजने की कोई वेबसाइट होती थी। तब शेरो शायरी के एक्सपर्ट लोगों की घरों में बेहद डिमांड होती थी। साथ ही सुंदर हैंडराइटिंग वाले लोगों की भी ताकि वह सभी के ग्रीटिंग कार्ड पर अपनी सुंदर लिखावट से लिख सकें।

ऐसे लोगों को समोसा चटनी, पॉपिंस और दही बताशा के नाम पर मनाया जाता था। 1 जनवरी के आते ही ग्रीटिंग कार्ड बांटने का दौर शुरू होता था। फिर खुलती थी वह लिस्ट जिसमें पसंदीदा मित्रों के नाम लिखे होते थे। पर मजाल है कि कोई उस लिस्ट को देखकर ग्रीटिंग बांटे। कुछ मित्र तो दिमाग में पहले से बसे होते थे और कुछ ग्रीटिंग कार्ड की अदला बदली में दिए जाते थे। जैसे आपका घोर दुश्मन भी अगर आपको ग्रीटिंग कार्ड दे दिया है तो बदले में आपको भी उसे ग्रीटिंग कार्ड देना पड़ेगा नहीं तो समाज में वह आपकी बहुत बेज्जती करेगा।

सभी पसंदीदा दोस्तों में से एक खास दोस्त को महंगी वाली ग्रीटिंग कार्ड दी जाती थी। महंगी मतलब ₹5 वाली जिसमें कटिंग होती थी। हम लोग उसे कटिंग वाला ग्रीटिंग कार्ड बोलते थे। एक लाल लिफाफे में बंद एक सुंदर कटिंग वाला ग्रीटिंग कार्ड और उसके अंदर लिखी हुई मनपसंद लाइने पाने वाला व्यक्ति भी प्रफुल्लित हो जाता था।

संचार क्रांति आने से कुछ चीजें तो बहुत बेहतर हो गई हैं। लेकिन भावनाएं जो लिखकर व्यक्त की जाती थी और जिन्हें अपने जन तक पहुंचाने में जो हल्का सा विलंब होता था। वही देने वाले और पाने वाले के बीच की धुरी थी। अब हमको लगता है कि वह धुरी अपनी जगह से विस्थापित हो गई है। इसीलिए आजकल त्यौहार सजीव होते हुए भी कागज के जान पड़ते हैं। पहले कागज के त्यौहार कितने सजीव जान पड़ते थे।

उम्मीद करते हैं कि आप सभी को यह वाकया जरूर याद होगा। नए वर्ष की आप सभी मित्रों को हार्दिक हार्दिक शुभकामनाएं आप सभी अपने जीवन में उत्कृष्ट रहे और निरोग रहे।

राहुल मिश्रा

गोरखपुर, उत्तर प्रदेश

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