माधव

मित्र एक माधव जैसा,  जो अगर खड़ा हो जाएगा।  तो एक नहीं कई रणक्षेत्र में,  अपना परचम लहराएगा।

मित्र एक माधव जैसा,
जो अगर खड़ा हो जाएगा।
तो एक नहीं कई रणक्षेत्र में,
अपना परचम लहराएगा।

जब जीवन दुर्योधन जैसे,
हमको आंख दिखाएगा।
तब केशव शांति दूत बनकर,
हमको राह दिखाएगा।


जब मन व्यथित होगा,
अंतर्मन द्वंद चलाएगा,
तब मोहन खुद मुरली लेकर,
भवसागर पार कराएगा।

जब रोष बहुत होगा खुदपर,
मन खिन्न भिन्न हो जाएगा,
तब सत्य मार्ग समझाने को,
माधव खुद पास बुलाएगा।

- राहुल मिश्रा
गोरखपुर, उत्तर प्रदेश

26 अक्टूबर 2023

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1 Comments
Larry
Namrata Pandey
2025-05-13 at 12:14 AM

My favourite Poem 👌👌👌💓
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